गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे दो दर्जन से अधिक अज्ञात वकीलों पर प्राथमिकी दर्ज।
दरभंगा: व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता अंबर इमाम हाशमी की गिरफ्तारी के विरोध में हंगामा करने वाले 25 अज्ञात अधिवक्ताओं पर केस दर्ज किया गया है। लहेरियासराय थाने में यह मामला कोर्ट हाजत प्रभारी एएसआई मनोज कुमार झा के आवेदन पर दर्ज हुआ है।

मनोज झा ने बताया कि शुक्रवार को एडीजे-3 एसके दिवाकर की अदालत से आदेश मिलने के बाद अधिवक्ता अंबर इमाम हाशमी को कस्टडी में लेने पहुंचे थे। तभी 24 से अधिक अधिवक्ता कोर्ट रूम में जमा हो गए। वे गिरफ्तारी का विरोध करते हुए शोरगुल करने लगे। कोर्ट की कार्रवाई में बाधा डालने लगे। जब पुलिस ने वारंटी को अपनी अभिरक्षा में लेने की कोशिश की तो कुछ अधिवक्ता पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की करने लगे।

घटना की जानकारी वरीय पदाधिकारी को दी गई। इसके बाद लहेरियासराय, नगर, विश्वविद्यालय, कोतवाली, बहादुरपुर, बेंता, सदर थाना और पुलिस केंद्र से 100 से अधिक पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। अधिवक्ता को मंडल कारा भेजा गया।

करीब 2 घंटे तक न्यायालय परिसर में अधिवक्ता छोटे-छोटे समूहों में विरोध करते रहे। लहेरियासराय थानाध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है। विरोध कर रहे अधिवक्ताओं की पहचान की जा रही है।
वहीं, दूसरी तरफ व्यवहार न्यायालय में वकीलों ने शनिवार को प्रदर्शन किया। यह विरोध कल वकील सुशील कुमार चौधरी को हिरासत में लेने को लेकर है। प्रशासन पर दुर्व्यवहार का आरोप है। वकीलों ने न्यायालय परिसर में नीचे बैठकर प्रदर्शन किया। इसके बावजूद न्यायिक काम जारी रहा।

ग्रामीण एसपी आलोक और बिरौल एसडीपीओ मनीष चंद्र जाकर ने वकीलों को समझा बुझाकर शांत करने का प्रयास किया। लेकिन वकील नहीं माने। बाद में खुद से सभी लोग शांत हो गए।
वकील संतोष कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस ने निर्दोष व्यक्ति को जबरन पकड़ा। सुशील कुमार चौधरी को कॉलर पकड़कर खींचते हुए लहेरियासराय थाना ले जाया गया। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। सवाल यह है कि अगर वह दोषी थे तो जेल क्यों नहीं भेजा गया। अगर निर्दोष थे तो गिरफ्तार क्यों किया गया।
वकीलों ने पूछा कि किसके आदेश पर गिरफ्तारी हुई। पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। वीडियो फुटेज की जांच होनी चाहिए। वकीलों का आरोप है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने जिला जज से जवाब मांगा है।
दरअसल, शुक्रवार को एडीजे तृतीय सुमन कुमार दिवाकर की अदालत में हत्या के मामले में सुनवाई होनी थी। वकील अम्बर इमाम हासमी ने फॉर्म 317 भरकर कोर्ट को बताया था कि वे जिले से बाहर हैं। लेकिन उसी दिन वे एक अन्य केस में बहस करने कोर्ट पहुंच गए। जज ने उन्हें देखकर सवाल किया कि जब छुट्टी पर हैं, तो बहस कैसे कर रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया।
पुलिस बल कोर्ट पहुंचा और अम्बर इमाम हासमी को कस्टडी में लिया। इसी दौरान उनके साथी वकील सुशील कुमार चौधरी भी वहां मौजूद थे। पुलिस ने उन्हें भी जबरन पकड़कर लहेरियासराय थाना ले गई। सुशील कुमार का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। कपड़े तक फाड़ दिए। थोड़ी देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
वकीलों का कहना है कि सुशील कुमार निर्दोष थे। उन्हें क्यों पकड़ा गया, फिर क्यों छोड़ा गया। किसके आदेश पर उन्हें हिरासत में लिया गया, इसका जवाब जिला जज को देना चाहिए। वकीलों ने मांग की कि संबंधित पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई हो।
बता दें कि साल 1994 में बिशनपुर थाना क्षेत्र के पटोरी बसंत गांव में दर्जनों राउंड फायरिंग हुई थी। इसमें रामकृपाल चौधरी की मौके पर मौत हो गई थी। छह लोग घायल हुए थे। इस मामले में विशनपुर थाना में केस संख्या 58/1994 दर्ज हुआ था। इसी केस में अम्बर इमाम हासमी और उनके दो भाई आरोपी थे।
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